कैसे मिला सोनू का नया जीवन

एक गाँव में एक लड़का रहता था जिसका नाम सोनू था उसे जरा भी मेहनत करने की आदत नहीं थी | वह सारा दिन मन्दिर के बाहर बेठ कर भीख ही मांगता रहता था और मन्दिर में आने जाने वालो से भीख मांग का अपना जीवन व्यतीत करता था |

सर्दियों के दिन थे सुबह का समय था और ठंडी हवा चल रही थी | उस दिन मंदिर में लोगो का आना जाना बहुत कम था सोनू ने सोचा आज ठंड बहुत लोग भी काम आ रहे है क्यों न कही और जा कर बेठ जाऊ जहा में ठंड से बच सकू | सही सोच कर वह मंदिर के पास एक छज्जे था वहा जा कर बेठ गया |

सोनू को बहुत ज्यादा ठंड लग रही थी और जोर से जोर चिल्लाकर – चिल्लाकर राहगीरों से कहा रहा था, “भगवान के नाम पर कुछ दे दो, दो दिनों से मेने कुछ नहीं खाया | कोई कुछ तो दे दो, मेरे बढ़े माँ-पाप भेखे है |

जो थोड़े बहुत लोग थे वो कुछ न कुछ उसे दे देते | वही दूर खड़े एक महात्मा उसे देख रहे थे | वह सोनू के पास आए और बोले, “क्या नाम है तुम्हारा और तुम भीख क्यों मांग रहे हो?”

सोनू बोला, “मेरा नाम सोनू है और में बहुत ज्यादा गरीब हु | मेरे पास कुछ भी नहीं है | अगर में भीख नहीं मागुगा तो क्या खाउगा |”

महात्मा बोले “सोनू क्या सच में तुम्हारे पास कुछ नहीं है |”

यह सुनकर सोनू, “जी सच में मेरे पास कुछ नहीं है |”

महात्मा बोले, “तुम झूठ क्यों बोल रहे हो” |

सोनू बोला, “महाराज में झूठ क्यों बोलू गा, सच में मेरे पास कुछ भी नहीं है |”

यह सुनते ही महात्मा बोले, “तो ठीक है, में तुम्हे १०० रुपे देता हु और इसके बदले तुम मुझे अपने दोनों हाथ दे दो, बोलो ठीक है |”

यह सुनते ही सोनू हेरान हो गया और बोला, “यह क्या कहे रहे है आप, ऐसा कैसे हो सकता है और भला कोई अपने हाथ कैसे बेच सकता है | अगर मेरे हाथ कट गए तो में काम कैसे करुगा |”

फिर महात्मा बोले, “अच्छा तो ठीक है तो में तुम्हे २०० रुपे देता हु तुम मुझे अपने पैर दे दो |”

“नहीं नहीं में न तो अपने हाथ दुगा और न ही अपने पैर दुगा आप को”, सोनू बोला |

महात्मा बोले, “अच्छा ठीक है तुम मुझे अपने हाथ पैर मत दो | एक काम करो में तुम्हे ५०० रुपे देता हु तुम मुझे अपनी आंखे दे दो, बोलो यह तो ठीक है |”

अब सोनू को गुस्सा आ गया और बोला, “महात्मा जी, सुबह सुबह दिमाग खराब मत करो, में आप को कुछ नहीं दुगा |

यह सुन कर महात्मा मुस्कराए और बोले, “बेटा, तुम ही तो कहे रहे थे की तुम बहुत गरीब हो, तुम्हारे पास कुछ भी नहीं है | में तुम्हे इतने पैसे दे रहा हु और तुम मुझे मना कर रहे हो | अगर तुम्हरे अंग नहीं रहेगे तो तुम्हे और अच्छी भीख मिलेगी | तुम नहीं चाहते की तुम्हारे पास पैसे आए |”

सोनू बोला, “अगर मेरे अंग नहीं रहे तो में तो बिलकुल बेकार हो जाऊगा |”

यह सुनते ही महात्मा हंस पड़े और बोले, “बेटा, तुम ने तो अपने आप को बेकार बना ही रखा है | भगवान ने ततुम्हे यह अंग दिए है और तुम इसका इस्तेमाल ही नहीं कर रहे हो | क्या यह अंग सिर्फ भीख मांगने के लिए दिए है?” बेटा भगवान ने यह अंग काम करने के लिए दिए है इनका इस्तेमाल करो काम करने के लिए न की भीख मांगने के लिए | तुम इनका इस्तेमाल करो और फिर देखो दुनिया में ऐसी कोई वस्तु नहीं होगी जो तुम्हारे पास न होगी | मेरी बात का विश्वास करो और भीख मांगना छोड़ दो | “

सोनू महात्मा के चरणों में गिर पड़ा और बोला, “में आप से वादा करता हु की आज से में भीख नहीं मागुगा | आप ने मेरी आंखे खोल दी है | अब से में मेहनत करके पैसा कमाऊगा |”

महात्मा सुनकर खुश हुए और उसके सर पर हाथ रख कर वहा से चले गए |

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