एक दिन की बात है बादशाह अकबर कुछ खामोश से थे अपने दरबार में | सभी दरबारी यह सोच रहे थे की बादशाह अकबर को क्या हुआ हुई | वो इतने खामोश क्यों है |
हिम्मत करके एक दरबारी ने बादशाह अकबर से पूछ ही लिया, “बादशाह, आज आप इतने खामोश क्यों हो, आप किस सोच में दुबे हो? क्यों सी परेशानी आप को सता रही है |
बादशाह भी इसी बात का इंतजार कर रहे थे की कोई उनसे यह सवाल पूछे | वह तुरंत बोले, “क्या बताऊ, आज एक शख्स ने हमारी दाढ़ी खिंची है और हमे नोचा भी | और अब हम यह सोच रहे ही की उसे क्या सजा दी जाए |”
यह सुनते ही जैसे सारे दरबारियों के होश उड़ गए | एक दम ख़ामोशी फेल गई चारो तरफ | सब यह सोचने लगे की ऐसी गुस्ताखी क्यों कर सकता है | किसको अपनी जान प्यारी नहीं है | कोन हो सकता है |
एक दरबारी ने कहा, “महाराज, इसमें इतना सोचने की क्या बात है | उस शख्स का सर कलम कर देना चाहिए | कोई बोला, “उसे सूली पर चढ़ा देना चाहिए, कोई बोला, “उसका सर हाथी के पेरो तले दबा देना चाहिए |” सभी दरबारियों ने कुछ न कुछ बोला |
आखिर में बादशाह अकबर ने बीरबल से पूछा, “तुम ने कुछ नहीं बोला, बीरबल | तुम्हारे मुताबिक उस शख्स को क्या सजा मिलनी चाहिए |”
यह सुनते ही बीरबल मुस्कराया और बोला, “हुजुर, आप को उसके साथ और खेलना चाहिए, उसके साथ खाना खाना चाहिए |”
यह सुनकर सभी दरबारी बोचके हो गए | सभी बोलने लगे, बीरबल पागल हो गया है यह क्या बोल रहा है | जिस ने बादशाह अकबर की दाढ़ी खिंची उसके साथ हुजुर खले, खाना खाए |
बादशाह ने भी पूछा, “यह क्या कह रहे हो बीरबल | क्या तुम उस दाढ़ी खींचने वाले को जानते हो क्या?”
बीरबल ने कहा, “जी हुजुर, इस दुनिया में छोटे शहजादे के अलावा और कोन हो सकता है जो आप की दाढ़ी खींचने की हिम्मत कर सकता है | और तभी में कहा हुजुर उस शख्स के साथ और खेले, खाना खाए |”
यह सुनते ही बादशाह अकबर हंस पड़े और बोले, इस बार फिर से तुमने बाजी मार ली |