नमस्कार दोस्तों! सविनय अवज्ञा आंदोलन (Civil Disobedience Movement) जोकि एक बहुत ही बड़ा आंदोलन था जिसे हम दंडी मार्च के नाम से भी जानते हैं आज इसके बारे में हम इस लेख में पूरी जानकारी देंगे। और आज हम यह भी जानेंगे कि सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत कैसे हुई? ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विपरीत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा चलाए जाने वाले यह आंदोलन काफी महत्वपूर्ण था।
महात्मा गांधी के नेतृत्व में इस आंदोलन की शुरुआत की गई थी जिसका प्रारंभ श्री महात्मा गांधी जी के बहुत ही मशहूर दंडी मार्च से हुआ था 12 मार्च 1930 में साबरमती आश्रम से महात्मा गांधी ने और आश्रम के अन्य लोग दांडी अहमदाबाद के 241 मील दूर भारत के पश्चिमी तट पर स्थित एक छोटी सी गांव के लिए नंगे पैर ही यात्रा शुरू की।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस असहयोग आंदोलन के पश्चात भी इनका संघर्ष चलता रहा और साल 1930 तक भारत में कांग्रेस की स्वतंत्रा के लिए सरकार से कई सारे मांगे की, लेकिन कांग्रेस के द्वारा जितनी भी मांगी थी उन सभी को सरकार के द्वारा ठुकरा दिया गया था।
वहां के वासियों के मन में एक बात घर कर गई थी कि सरकार को कुछ भी करने के लिए सरकार को मजबूर करना ही चाहिए ब्रिटिश सरकार ने मशहूर नेहरू रिपोर्ट को भी अधिकार किया और भारतीयों को क्रोध कर दिया था।
अंत में 1930 ई○ साल में कांग्रेस की कार्यकारिणी महात्मा गांधी को सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाने का अवसर प्रदान किया और यह आंदोलन की शुरुआत नमक कानून को तोड़कर की गई थी।
उस समय सरकार ने नमक पर आबकारी कर (Custom Duty) लगा दिया था जिसके कारण उसके घर आने में बहुत ज्यादा नुकसान होने लग गया था और तो और सरकार के पास नमक को बनाने के लिए एकाधिकार भी मौजूद था।
महात्मा गांधी के मन में ऐसे कई सारे सवाल घूम रहे थे और उनका सिर्फ एक ही उद्देश्य था कि वह इस नमक कर पर जोरदार तरीके से बाहर करें और इस अनावश्यक कानून को हमेशा के लिए तोर दें।
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दांडी मार्च क्या है? Dandi March in Hindi
महात्मा गांधी के इस नमक सत्याग्रह से पूरा भारत में एक अलग ही जोश उठ गया।
12 मार्च सुबह हजारों लोगों ने यह देखा कि महात्मा गांधी आश्रम के 78 सेवकों सहित दांडी यात्रा पर चल पड़े हैं।
दांडी एक जगह का नाम था जो आश्रम से करीबन 241 मील दूर समुद्र के किनारे बसा एक गांव था।
महात्मा गांधी ने अपने सारे भारतवासियों को ये छोटे दी थी कि वे अवैध रूप से जितना हो सके उतना नमक बनाए महात्मा गांधी चाहते थे कि सारे भारतवासियों इस नमक कानून का बहिष्कार करें और पुलिस कार्यवाही के सामने अहिंसक विरोध शुरू करें।
लेकिन उस समय अंग्रेजों ने सभी लोगों पर जमकर लाठियां बरसाईं सारे स्वयं सेवकों मैं से दो की जान चली गई और करीबन 320 घायल हो चुके थे और महात्मा गांधी को गिरफ्तार भी कर लिया गया था।
यह आंदोलन करीबन 1 साल तक चला इसके बाद 1931 ई को महात्मा गांधी और इवनिंग के बीच में समझौता हुई और इस आंदोलन को खत्म किया गया।
सविनय अवज्ञा आंदोलन का कार्यक्रम (Civil Disobedience Movement)
महात्मा गांधी के द्वारा इस नमक कानून को भंग करना सभी देशों के लिए सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू होने का एक संकेत था अंत जगह दो लोगों ने इस कानून को तोड़ना शुरू कर दिया था।
महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन में कुछ कार्यक्रम भी शामिल है जो कि कुछ इस प्रकार है।
- सारे गांव में इस नमक कानून को हमेशा के लिए बंद किया गया।
- सारे सरकारी छात्र स्कूलों और कर्मचारी का सरकारी दफ्तरों को हमेशा के लिए छोड़ दें।
- सारी स्त्रियां शराब अफीम और विदेशी कपड़ों की दुकानों पर जाना बंद कर दें उनका बहिष्कार करें।
- विदेशी कपड़ों का इस्तेमाल बिल्कुल ना करें।
- सभी लोग सरकार को टैक्स ना दे।
सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू होने का कारण
इस आंदोलन के शुरू होने के पीछे कई सारे कारण है इसके बारे में मैं आपको एक एक करके पूरे विस्तार रूप से बताऊंगा।
- ब्रिटिश सरकार ने मशहूर नेहरू रिपोर्ट को अस्वीकार किया और भारतीयों के लिए एक संघर्ष भरा मार्ग छोड़ दिया उनके पास संघर्ष के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा।
- देश की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई थी विश्वव्यापी हार्दिक मंदिर से पूरा भारत भी अछूता नहीं रहा पाया था यहां पर एक तरफ एवं विश्व की महान हार्दिक मंदिर थी तो दूसरी तरफ सोवियत संघ की समाजवादी सफलता थी।
- चीन की क्रांति के प्रभाव से दुनिया के सारे देशों में एक क्रांति की स्थिति पैदा हो गई सभी देशों में किसानों और मजदूरों के लिए बहुत ही बुरा समय आ गया था फल स्वरुप देश के वातावरण तेजी से ब्रिटिश सरकार के विरोधी बनता गया गांधी जी ने इस समय का उपयोग करके इस विरोध को सविनय अवज्ञा आंदोलन की तरफ कर दिया था।
- भारत में आतंकवादी गतिविधियां काफी ज्यादा बढ़ रही थी इस स्थिति को देखकर सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू करना पड़ा उस समय सरकार विरोधी विचारधाराओं को हिंसक बना दिया था किसानों मजदूरों और आतंकवादियों के बीच में दिल को समानता आ गई थी जिसकी वजह से हर तरफ हिंसा और भय का वातावरण पैदा होने लगा था।
- देश की सरकार राष्ट्रीयता और देश प्रेम की भावना से प्रभावित होने लगी थी अंत में वह नित्य दमन के लिए नए-नए उपाय भी ला रही थी इसी समय के दौरान सरकार ने 1929 जनवरी में पब्लिक सत्या बिल या काला कानून पेश किया था।
- बहुत ही उत्तेजना भरा वातावरण में कांग्रेस का अधिवेशन 1929 दिसंबर में लाहौर में किया गया अधिवेशन के अध्यक्ष भारत के जवाहरलाल नेहरू से जो युवक के आंदोलन और हिंसक राष्ट्रवाद के प्रतीक थे।
- और इसी के बीच सरकार ने नेहरू रिपोर्ट को अस्वीकार किया और महात्मा गांधी ने राष्ट्र की नब्ज को अच्छी तरह से पहचान लिया था और यहीं से भी अनुभव कर लिया था कि हिंसात्मक क्रांति का रोकने के लिए इस आंदोलन को अपनाना बहुत जरूरी होगा।
सविनय अवज्ञा आंदोलन का प्रभाव
- इस आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार को पूरी तरह से हिला कर रख दिया था और स्वतंत्रा आंदोलन की सामाजिक चोरों को बहुत ही अच्छी तरह से स्थापित किया साथ ही साथ प्रभात फेरी और पर्चे बांटने जैसे प्रचार के नए-नए तरीके भी लाए गए।
- सविनय अवज्ञ आंदोलन के प्रभाव से ब्रिटिश की दमनकारी नमक नीति को भी पूरी तरह से समाप्त किया।
नमक सत्याग्रह क्या था
साल 1930 12 मार्च को महात्मा गांधी ने गुजरात के अहमदाबाद में स्थित साबरमती आश्रम से ऐतिहासिक नमो की यात्रा की शुरुआत की थी यात्रा के अंत में वह दांडी नामक एक गांव में पहुंचे थे और वहां से ब्रिटिशशो द्वारा नमक पर लगाए गए अत्यंत पर रोक लगाया था।
नमक यात्रा जिसे हम दांडी मार्च के नाम से जानते हैं वह 4 1930 12 मार्च से लेकर 6 अप्रैल 1930 तक चली थी और यह यात्रा करीबन 24 दिनों तक 36 थी और यह यात्रा हिंसारहित रही और इसका यह ऐतिहासिक महत्व पूरे देश में फैला हुआ था।
दांडी पहुंच कर माता गांधी ने खुद अपने हाथों से अवैध रूप से नमक बनाकर इस कानून का बहिष्कार किया महात्मा गांधी को देख पूरे भारत के लाखों लोगों ने सब ने बदनाम किया जिसमें नमक बनाकर और अवैध नमक को खरीद कर इस कानून को हमेशा के लिए बंद किया गया।
FAQ on Savinay Avagya Aandolan
सविनय अवज्ञ आंदोलन से क्या समझते हैं?
इस आंदोलन को चलाना बहुत ही जरूरी हो गया था क्योंकि ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध भारतीय राष्ट्र कांग्रेस के द्वारा चलाने वाले यह आंदोलन सबसे महत्वपूर्ण थे कुछ ब्रिटिश प्रकार के गैर कानूनी कार्य को बंद कराने के लिए इस आंदोलन की शुरुआत की गई।
सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाने के क्या कारण थे?
सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाने के कई सारे कारण है जिसमें से साइमन कमीशन का बहिष्कार शामिल था और सविनय अवज्ञ आंदोलन को शुरू करने का कारण यह भी था कि सरकार ने नेहरू समिति की रिपोर्ट को ठुकरा दिया था और कृषको की दशा भी भी विश्वव्यापी मंदी के कारण काफी बिगड़ रही थी।
सविनय अवज्ञा आंदोलन कितने दिनों तक चला था?
सविनय अवज्ञा आंदोलन तकरीबन 24 दिनों तक चला था।
सविनय अवज्ञा आंदोलन कब शुरू हुआ था?
सविनय अवज्ञा आंदोलन 6 मार्च 1930 को महात्मा गांधी के द्वारा शुरू हुआ था।
सविनय अवज्ञा आंदोलन कब खत्म हुआ था?
सविनय अवज्ञा आंदोलन 6 अप्रैल 1930 को खत्म हुआ था।
Conclusion
सविनय अवज्ञा आंदोलन हमारे देश के लिए एक बहुत ही बड़ा आंदोलन मैं से एक था एक दिन उनको महात्मा गांधी के द्वारा चलाया गया था हमने आज इस लेख में सविनय अवज्ञा आंदोलन के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त की हमें यह भी जाना कि यह आंदोलन क्यों कब और कैसे शुरू हुआ था।
जितने भी लोग इस आंदोलन में शामिल थे उन सभी ने अपने देश को सुरक्षित रखने के लिए अपनी जान तक लगा दिए थे उनमें से कई सारे लोग घायल भी हुए थे और दो लोगों की जान भी जा चुकी थी यहां तक महात्मा गांधी को जेल भी हो गया था फिर भी सबने मिलकर सविनय अवज्ञा आंदोलन को बनाए रखा।