सोने का कुत्ता

बहुत पुरानी बात है एक बार एक राजा ने अपनी तीनो बेटो में से किसी एक को अपना उतराधिकारी चुनने का फेसला किया और इसी के चलते उसने तीनो की परीक्षा लेने की सोची | उस राजा ने अपनेतीनो बेटो के १०० – १०० सोने की मुद्राए देकर उसने उन्हें आज्ञा दी की जो उसे एक साल के अंदर अंदर सबसे फहले सोने का कुत्ता ले कर आयगा उसे में अपना उतराधिकारी गोषित कर दुगा |

सबसे बड़े राजकुमार ने एक शहर में जा कर एक महल किराये पर लिया और अपने कुछ आदमियों को चारो दिशाओ में भेज दिया उस सोने के कुत्ते की खोज में | परन्तु सब के सब कुछ सप्ताह के बाद सभी लोग खाली हाथ आ गए | तब तक बड़े राजकुमार के सारे पैसे खत्म हो गए और वह वापिस चला गया |

वहा दूसरी तरफ दुसरे राजकुमार एक शहर में जा कर एक महाजन बनकर लोगो को सूद पर पैसे देने लगा | और जल्दी ही उसे बहुत सारे पैसे कम लिए और उसने अपने पिता को दोनों के लिए सोने का कुता बनाने के लिए सुन्हार को दे दिया |

अब बारी थी छोटे बच्चे की | वह एक शहर में गरीब समुदाय के बीच एक छोटा-सा घर लेकर रहने लगा | उसने अपना पूरा पैसा एक व्यपार में लगा दिया जिससे उसकी बहुत अच्छी कमाई हो गई की उसने बहुत से गरीब लोगो को काम पर रख लिया | उसने अपने कमाए पैसो से न सिर्फ गरीबो को काम दिया अपितु स्कुल, अस्पताल के अलावा कार्य किये | साथ ही साथ उसने गरीब लोगो को सस्ते दर पर कर्जा देना भी आरंभ कर दिया | इससे वे लोग जल्दी ही खुशहाल हो गए | बल्कि पूरा खुशहाल हो गए थोड़े दिनों में | अपने काम से संतुष्ट होकर वह अपने पिता से मिलने चल दिया |

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