एक गाँव में एक आदमी रहता था उसका नाम गणेश था और वह बहुत सीधा साधा इन्सान था उसके घर में उसकी पत्नी और उनके पास दो भेंसे थी वह बहुत गरीब थे उनका गुजारा बहुत ही मुश्किल से होता था |
एक दिन की बात है उसकी पत्नी ने उसे क्यों न हम एक भेंस बेच दे तो हमारे पास कुछ पैसे आ जाएग जिससे हमारा कुछ दिनों का गुजारा हो जाएगा | और अगले ही दिन वह उसे बेचने चला गया | रस्ते में उसे एक आदमी मिला जो अपने घोडा बेचने जा रहा था वे बोला, हे भला मानस क्यों न हम अपने जानवरों की अदला बदली कर ले, तुम मेरा धोड़ा ले लो और में तुमारी भेंस ले लेता हु | \
यह सुनकर गणेश ने उसकी बात मन ली और उसे अपनी भेंस दे दी | उसने सोचा बच्चे घोड़े की सवारी कर लेगे | वह घोडा ले कर कुछ दूर चला ही था की उसे पता चला की घोडा तो अँधा था | वह उसे ले कर चल पड़ा | थोड़ी देर चलने के बाद उसे एक और आदमी मिला, उसके पास गाय थी |
घोडा देख कर वह आदमी बोला, “भाई मेरी गाय बहुत सीधी है और खूब दूध देती है |, तुम मेरी गाय ले और मुझे तुम अपना घोडा दे दो | मुझे घोड़े की सख्त जरूरत है |”
गणेश ने उसे अपना घोडा दे दिया और उसकी गाय ले ली | कुछ ही देर में उसे पता चला की गाय तो लगड़ी है | वह उसे भी ले कर चल पड़ा | थोड़ी देर चलने पड़ उसे एक पर आदमी मिला | उसके पास एक बकरी थी | उस आदमी ने पूछा, कहा जा रहे हो भाई, उसने बताया में इस लगड़ी गाय को बेचने जा रहा हु |
आदमी बोला, भाई मुझे इस गाय की जरूरत है क्या आप मुझे यह गाय दे सकते हो इसके बदले में आप को अपनी बकरी दे दुगा |
गणेश ने उसे अपनी गाय उसे दे दी और उसकी बकरी ले ली | थोड़ी देर चलने के बाद उसे पता चला की बकरी तो बीमार है | बजार पहुच कर उसे बहुत भूख लगी | उसे पांच रुपे में लगड़ी गाय बेच दी और कुछ रूप देकर कुछ खाना खरीद लिया | दूर उसे एक पेड़ दिखा वहा जा कर उसने अपना खाना खोला ही था की वहा पर एक बुढा आदमी आ गया और उससे बोला, बीटा मुझे बहुत भूख लग रही है क्या मुझे थोडा खाना मिल सकता है |
उसकी हालत देख कर उसे उस पर दया आ गई और उसे अपना खाना दे दिया और खाली पेट घर लोट गया | घर पहुचते ही उसकी पत्नी बोल, बेच आये भेंस, कितने पैसे मिले | गणेश ने उसे सारी कहानी सुनाई और यह सुनकर उसकी पत्नी बोली आप ने बहुत अच्छा किया |
तुम अपने हाथ मुह धो लो में तुम्हारे लिए खाना लती हु | खाना खा कर आप सो जाना आप बहुत थक गए हो और खाना खा कर दोनों सो गए | अगले दिन जब गणेश ने अपना दरवाजा खोला तो अह हेरान हो गया | उसने तुरंत अपनी पत्नी को आवाज दी | उसकी आवाज सुनकर वह भी थोड़ी चली आई और वह भी देखकर हेरान हो गई | उनेक दरवाजे के आगे वो सरे जानवर बंधे हुए थे जो कल गणेश को मिले थे वो भी सही सलामत | उन्हें कुछ समझ नहीं आया की ऐसा कैसे हुआ |
सीख: दोस्तों हमेश अच्छा करो तभी आप के साथ भी अच्छा होगा |