भेड़ो की अनुचित शिकायत

एक गाव में एक आदमी के पास कुछ भेड़े और उनकी रखवाली करने के लिए एक कुता था | जब वह भेड़ो को चराने ले जाता तो कुता बड़ी सतर्कता से उनकी देखभाल करता था |

यह हर रोज दुपहर के समय भोजन करता को थोडा सा भोजन अपने कुते को भी दे देता | भेड़े प्रतिदिन इच्छा भरी नजरो से कुते को मालिक के साथ खाते देखती तो आपस में सभी भेड़े कानाफूसी करती | उन्हें मालिक के कुते के प्रति प्रेम देख कर अच्छा नहीं लगता था | अत: एक दिन जब मालिक कुते को भोजन खिला रहा था तो उनमे से एक भेड़े अपने मालिक के पास आ कर बोली, “हे मालिक, आपका या अन्यायपूर्ण व्यवहार अनुचित है |”

मालिक ने पूछा, “साफ साफ कहो क्या कहना चाहती हो तुम?”

भेड़े बोली, “हम से आपको उन, दूध तथा लेले प्राप्त होते है पर फिर भी आप हमे प्रेम नहीं करते सिर्फ कुते से ही करते हो, उसकी को खाना खिलते हो | हम तो घास खा कर भी अपना गुजरा कर लेती हा | इस कुते से आपको कुछ भी नहीं मिलता |

यह सब सुनकर कुता बोला, “आप बिलकुल सही कहे रहे हो, परन्तु क्या आप जानती हो अगर में न हु तो आप पर क्या बीतेगी? में आप सभी की सरुक्षा करता हु जगली जानवरों से, और चोरो से | अगर में न हु तो आप यहाँ पर चरने भी नहीं आ सकती |

मालिक बोलो, “आप लोगो की शिकायत बिलकुल अनुचित है | हर का काम अपनी जगह पर है जैसे आप घास खा कर अपना पेट भर सकते हो लेकिन कुता घास खा कर अपना पेट नहीं भर सकता और ऐसा नहीं है की में आप से प्रेम नहीं करता | आप के लिए ही में इस कुते को लाया था ताकि आप सभी सुरक्षित रहे जंगली जानवरों से |

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