नमस्कार दोस्तों! आज के इस लेख में हम महान कवि कबीर दास के बारे में जानेंगे कबीरदास अपने पूरे जीवन में कई अनेक प्रकार के कृतियां, दोहे लिखे हैं और कबीर दास के लिखे दोहे आज भी हर जगह पढ़े जाते हैं|
कबीर दास अपने जमाने की एक बहुत ही महान कवि हुआ करते थे उनकी कविता सभी लोगों को बहुत पसंद आता था और उनके दोहे से लोगों की जिंदगी बदल जाती थी कबीर दास के जीवनी पर कई तरह की बातें लिखी गई है|
जिसके बारे में आज हम इस लेख में आपको पूरा विस्तार रूप से बताएंगे कबीर का जीवन परिचय (Kabir Das Biography in Hindi) के बारे में आपको पूरी जानकारी जाननी है तो इस लेख के साथ अंत तक जरूर बने रहें|
Table of Contents
Kabir Das Biography in Hindi – संत कबीर दास के जीवन परिचय
Information About Kabir Das Biography
नाम | संत कबीर दास |
जन्म | 1398 ई○ |
जन्म स्थान | लहरतारा ताल काशी |
नागरिकता | भारतीय |
माता का नाम | नीमा |
पिता का नाम | नीरू |
पत्नी का नाम | लोई |
बेटे का नाम | कमाल |
बेटी का नाम | कामली |
मृत्यु | 1518 ई○ |
मृत्यु स्थान | मगहर, उत्तर प्रदेश |
कर्म भूमि | काशी बनारस |
कार्यक्षेत्र | कवि, समाज सुधारक, सूट काटकर कपड़ा बनाना |
मुख्य रचनाएं | रमेनी,साखी,सबद |
भाषा | अवधी, सधुक्कड़ी, पंचमेल खिचड़ी |
शिक्षा | निरक्षर |
कबीर दास का जीवन परिचय इन हिंदी
कबीरदास का जन्म लहरतारा ताल काशी बनारस 1398 ई○ में हुआ था| कबीर दास के जन्म स्थिति को लेकर बहुत सारे लोग अनेक अनेक प्रकार की बातें करते हैं जैसे कि कुछ लोगों का यह मानना है कि वह गुरुओं के गुरु रामानंद स्वामी जी के आशीर्वाद से काशी बनारस में एक विधवा ब्राह्मनी के पेट से पैदा लिए थे|
ब्राह्मनी कबीर दास को नापसंद करते थे और इसी वजह से उन्हें पैदा होते लहरतारा ताल के पास फेंक दिया था और उसी जगह से एक नीरू नाम के पुरुष ने कबीर दास को अपने घर ले आए थे|
और नीरू के द्वारा ही कबीर दास का पूरा पालन पोषण किया गया इसके बाद ही सब इन्हें कबीर कबीर कहकर बुलाने लगे और कुछ लोगों का यह भी कहना है कि कबीरदास बचपन से ही मुस्लिम थे और युवावस्था मैं गुरु स्वामी रामानंद के आशीर्वाद से कबीर दास को हिंदू धर्म की बातें मालूम हुई|
और एक दिन, रात्रि के समय पंचगंगा घाट की सीढ़ियों पर कबीरदास गिर पड़े और वहीं पर गुरु रामानंद गंगा में स्नान करने के लिए सीढ़ियों से उतर रहते हैं तभी उसी वक़्त स्वामी का पैर कबीर के सरीर पर Touch हुआ तभी उसी समय सवामी के मुख से “राम राम” निकला|
उसी शब्द से कबीर दास बहुत प्रभावित हुए और राम को दीक्षा मंत्र मान लिया और स्वामी रामानंद जी को अपना गुरु मान लिया और कुछ लोगों का यह भी कहना है कि कबीर दास का जन्म बनारस काशी में लहरतारा तालाब में उगे कमल के मनोहर फूल के ऊपर बच्चे के रूप में हुआ था|
कबीरदास का जन्म स्थान क्या है – Kabir Das Birth Place in Hindi
कबीरदास का जन्म 1398 ई को हुआ था और उनका जन्म स्थान मगहर काशी में हुआ था| कबीरदास अपने मुख रचनाएं में भी अपने जन्म स्थान का उल्लेख किया है| कबीर दास काशी, बनारस में रहने से पहले मगहर को देखा था और मगहर आज के समय में वाराणसी के पास में स्थित है और उसके निकट कबीर दास का बहुत ही बड़ा मकबरा भी बनाया गया है|
कबीर दास की शिक्षा – Kabir Das Education in Hindi
कबीर दास की शिक्षा आरंभ होने में काफी समय लग गए थे जब कबीरदास बड़े हो रहे थे तो उन्हें ऐसा महसूस हुआ कि वह पढ़ाई की ओर ज्यादा नहीं जा पाए और उनके उम्र के बच्चे उनसे काफी आगे थे और कबीरदास सब बच्चों में बहुत ही अलग थे|
कबीर दास को विद्यालय भेजने लाइक उनके माता-पिता नहीं थे क्योंकि जिस माता-पिता को यही चिंता हो कि आज घर में भोजन कैसे बनेगी वह अपने बच्चों की पढ़ाई के बारे में क्या ही सोचेंगे|
वैसे ही कबीर दास के माता-पिता भी कबीर को कभी भी पढ़ाने के बारे में विचार नहीं कर पाए और यही कारण है कि कबीरदास कभी भी किताबी ज्ञान प्राप्त नहीं कर पाए|
कबीर दास का वैवाहिक जीवन – Kabir Das Marital Life in Hindi
अगर बात करें कबीर दास के वैवाहिक जीवन की तो कबीर दास का विवाह वनखेड़ी बैरागी की खूबसूरत पालिता कन्या “लोई” के साथ कराया गया था और कबीर दास के दो संतान भी हुए जिसमें से एक पुत्र था और दूसरी पुत्री|
पुत्र का नाम कमाल था और पुत्री का नाम कामली दोस्तों क्या आप जानते है कबीर दास को कबीर पंथ में सभी लोग बाल ब्रह्मचारी के नाम से जानते थे और इसी पंत के अनुसार कबीर दास का पूरा परिवार कबीर दास का शिष्य बन गया था कमाल जोकि कबीरदास का पुत्र था वह उनका शिष्य था और कामली और लोई भी उनकी शिष्य थी|
कबीर दास अपने पत्नी का नाम कई बार दोहे में भी उल्लेख किया है कुछ लोगों का यह कहना है कि लोई पहले कबीरदास की पत्नी बनी उसके बाद उनकी शिष्य बनी कबीर दास शुरुआती दौर से ही हिंदुत्व धर्म के प्रति काफी आकर्षित हो रहे थे और उन्होंने हिंदू धर्म को काफी कम उम्र से ही समझना शुरू कर दिया था|
उस समय स्वामी रामानंद जी अपना सत्संग हर जगह कराते थे उनका बहुत ही बड़ा नाम था और जब जब वह सभी लोगों को अपना ज्ञान बांटते थे, सत्संग करते थे तो जरूर उस समय कबीरदास उनके साथ शामिल होते होंगे|
मुस्लिम आतंक का कहर
कबीरदास के समय हिंदू जनता पर मुस्लिमों का काफी ज्यादा आतंक का कहर था कबीर दास ने उस समय अपने पूरे पंत को बहुत ही अच्छी तरीके से सुयोजित (Well Planned) किया था जिसकी वजह से हिंदू की सारी जनता बहुत ही आसानी से कबीर दास के अनुचर (Follower) बन गए थे|
कबीरदास उस समय अपनी भाषा को काफी सरलता पूर्वक से रखा ताकि वह सभी लोगों के बीच पहुंच सके और इनके इस सरल (सहज) बर्ताव को देखकर दोनों समुदायों में प्यार उत्पन्न होना शुरू हो गया|
कबीर दास को शांति पूर्वक जीवन काफी ज्यादा पसंद था वह हमेशा साथ व्यवहार रखते थे उनको अहिंसा, सत्य, सदाचार बहुत ज्यादा पसंद था और अपनी सरलता स्वभाव से उन्होंने सभी का दिल भी जीता था और इसीलिए कारण है कि कबीरदास को आज सिर्फ हमारे देश में नहीं बल्कि विदेशों में भी उतना ही आदर किया जाता है|
और दोस्तों उसी दौरान कबीर दास ने बनारस छोड़कर अलग-अलग शेरों की यात्रा करनी शुरू कर दी जिसके बाद कबीर दास ने कालिंजर जिले के पिथौरा बाद शहर पहुंचे जहां पर भगवान राम कृष्ण का एक बहुत ही अच्छा मंदिर था|
वहां के जितने भी साधु संत थे वह भगवान गोस्वामी के विरुद्ध थे और आपस में उनका काफी ज्यादा भेदभाव था कबीर दास ने जब यह देखा तब उनको यह बहुत ही खराब लगा और उन्होंने उनसे बातचीत करना शुरू किया|
बातचीत करने के दौरान एक कबीर ने अपने साथी की एक पंक्ति उन लोगों के सामने प्रस्तुत किया और कबीर के एक साथी ने उन सभी के आपस की भेदभाव को खत्म कर दिया|
कबीर दास का अनोखे व्यक्तित्व – Kabir Das Personality in Hindi
हजारों साल बीत गए लेकिन फिर भी यह इतिहास बन चुका है कि कबीरदास जैसा व्यक्तित्व वाला आज तक कोई भी लेखक नहीं आया है लेकिन जैसे कबीर दास का व्यक्तित्व था वैसा ही मिलता जुलता तुलसीदास जी का भी व्यक्तित्व था लेकिन इन दोनों में काफी अंतर था|
लेकिन दोनों ही बहुत ही बड़े भक्त थे लेकिन दोनों का स्वभाव संस्कार लोगों को देखने का दृष्टिकोण में बहुत ही अंतर था कबीर दास का स्वभाव बचपन में काफी मस्ती वाला होता था जिसको झाड़ फटकार के हिंदी साहित्य का बहुत ही अद्भुत इंसान बना दिया|
कबीर दास का व्यक्तित्व काफी आकर्षण वाला था क्योंकि उनके जैसा व्यक्ति शायद ही कभी कोई हो पाता उनका स्वभाव बहुत ही शांत वाला था उन्हें हिंसा बिल्कुल भी पसंद नहीं था वह अपना पूरा जीवन शांति पूर्वक से बिताना चाहते थे|
आइए अब कबीर दास की कृतियों के बारे में जानकारी लेते हैं कबीरदास खुद अपने हाथों से किसी भी प्रकार का ग्रंथ नहीं लिखे हैं लेकिन उन्होंने खुद अपने मुंह से बोला है और उनके सारे शिष्य ने ग्रंथों को लिखा है कबीरदास हमेशा एक ही भगवान को मानते थे और वह कर्मकांड के बिल्कुल विरोधी थे|
कबीर दास की सबसे खास बात यह थी कि वह मूर्ति, रोजा, मस्जिद, मंदिर, ईद, मुस्लिम, हिंदू, इन सभी में कभी भी मानते नहीं थे| कबीरदास के नाम से मिले ग्रंथों की संख्या बहुत ही अलग-अलग लेखक के द्वारा अलग-अलग है जैसे कि –
- H. Wilson के अनुसार से कबीरदास के नाम पर पूरे 8 ग्रंथ लिखे गए|
- विशप जी. एच वेस्कॉट के अनुसार कबीर दास के नाम पर पूरे 74 ग्रंथ लिखे गए|
- रामदास गॉड के अनुसार कबीरदास के नाम पर पूरे 71 पुस्तकें लिखी गई है|
दोस्तों कबीर दास की वाणी जो कि बहुत ही मशहूर है वह संग्रह बिचक के नाम से काफी ज्यादा प्रसिद्ध है इसके 3 भाग है|
- रमेनी
- साखी
- सबद
कबीरदास का भाषा शैली – Kabir Das Language Style in Hindi
Kabir Das मैं खुद के बातों को कहने की आजादी थी कबीर दास की भाषा शैली मैं उन्होंने आमतौर पर बोलचाल भाषा का ही उपयोग किया था भाषा पर कबीर दास का बहुत ही ज्यादा अधिकार था और वह अपने भाव से खूब बहुत ही अच्छी तरह से लोगों तक पहुंचा पाते थे|
कबीर दास मैं सबसे खास बात यह थी कि वह जिस बात को जिस ढंग से लोगों के व्यतीत करना चाहते थे उसी रूप में अपनी भाषा को प्रकट करने की क्षमता भी रखते थे| भाषा में कबीर दास के सामने कुछ नहीं कर पाती थी|
वाणी के बादशाह कबीर दास को कहा जाता था कबीर दास जो भी अपने मुख से बोलते थे उसे सभी लोग मानते ही थे कबीर की वाणी ही उनका ताकतवर हथियार था|
कबीर दास की मृत्यु कब हुई – Kabir Das Death in Hindi
कबीर दास की मृत्यु 1518 ई○ काशी के निकट मगहर मैं हो गई थी कबीर दास की मृत्यु के बाद उनके शव को लेकर भी बहुत ज्यादा विवाद देखने को मिला क्योंकि उनका व्यक्तित्व इतना ज्यादा प्रभावशाली था कि हिंदू धर्म के लोग चाहते थे कि उनके शॉप का अंतिम संस्कार हिंदू रीति रिवाज से होना चाहिए|
और वही मुस्लिम जाति के लोग यह चाहते थे कि कबीर दास का सॉन्ग का अंतिम संस्कार मुस्लिम वृत्ति से होना चाहिए| और इसी विवाद के कारण जो उनके सबसे ज्यादा हटाया गया तब वहां पर फूलों का ढेर पढ़ा देखा गया फिर वहां से आधे फूल हिंदू धर्म के लोग उठाएं और आधे मुश्किल|
इसके बाद हिंदू धर्म के लोग उस फूल का अंतिम संस्कार हिंदू रीति के साथ किया और मुस्लिम धर्म के लोग उस फूल का अंतिम संस्कार मुस्लिम रीति के साथ किया|
FAQ on Kabir Ka Jeevan Parichay
कबीर दास जीवन परिचय?
कबीर दास का का जन्म लहरतारा ताल काशी में हुआ था और उनके माता जी का नाम नीमा था और पिताजी का नाम नीरू था कबीर दास एक बहुत ही महान कवि थे जिनकी पत्नी का नाम लोई था और उनके दो संतान थे पुत्र का नाम कमाल था और पुत्री का नाम कामली था|
कबीर दास की प्रमुख रचनाएं?
कबीर दास की प्रमुख रचनाएं साधो, देखो जग बौराना, करम गति टारे नहीं टरी, मोको कहां, रहना नहीं देस बिराना है, दिवाने मन भजन बिना दुख पेहो और भी कई सारे प्रमुख रचनाएं हैं|
कबीर दास की मृत्यु कब हुई?
1518 ई○
कबीरदास का जन्म कब हुआ था?
कबीरदास का जन्म 1389 ई○ में हुआ था|
Conclusion
कबीर दास को आज भी बहुत ही आदर के साथ याद किया जाता है और उनके जैसा स्वभाव वाला व्यक्ति शायद ही कभी हमारे भारत इतिहास में होगा कबीर का जीवन परिचय मैंने इस लेख में आपको बताने की कोशिश की है|
मुझे आशा है कि आपको यह लेख पसंद आया होगा कबीर दास की वाणी आज भी सभी की जुबां पर होती है कबीर दास जी का व्यक्तित्व बहुत ही शांत स्वभाव वाला था हमें भी उन्हीं की तरह हमेशा सरल रहना चाहिए|