Table of Contents
देश में स्थापित भगवान शिव जी के बारह ज्योतिर्लिंगों का अपना एक अलग इतिहास और महत्व रहा है । ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव जी की 5 तरह से आरती की जाती है । जिसमें सबसे महत्वपूर्ण भस्म आरती है ।
जी हां देश के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में हर रोज भस्म आरती होती है । भस्म से ही शिवलिंग का हर रोज सिंगार किया जाता है ।
तो आज हम आपके लिए इस आर्टिकल में भस्म आरती के साथ महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के Virtual दर्शन करायेगे, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे में संपूर्ण जानकारी लेकर आए हैं । तो हमारे आर्टिकल के साथ अंत तक जुड़े रहिए ।
हर रोज क्यों भगवान शिव की भस्म आरती होती है? अगर आप नहीं जानते तो इसके पीछे छुपे कहानी के बारे में हम आपको बताएंगे –
पूरी दुनिया भर से लोग उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर की भस्म आरती के दर्शन करने आते हैं । भस्म आरती महाकाल की बहुत विशेष आरती होती है । जो केवल महाकाल मंदिर में ही देखने को मिलती है । अगर आपने उज्जैन में भस्म आरती दर्शन नहीं किए हैं तो आपकी यात्रा अपूर्ण है ।
भगवान शिव की भस्म आरती केवल उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में ही की जाती है या आरती बेहद ही अलग तरीके से की जाती है इस आरती को प्रातः काल सुबह 4:00 बजे के समय किया जाता है यह आरती चिता की ताजी राख से की जाती है ।
ऐसी मान्यता थी कि वर्षों पहले शमशान भस्म से ही भगवान महाकाल की भस्म आरती होती थी । लेकिन अब यह परंपरा समाप्त हो चुकी है ।
महाकाल की भस्म आरती और श्रृंगार में कपिला गाय के गोबर से बने औषधियुक्त उपलों में शमी, पीपल, बड़, अमलतास और बेर की लकड़ियों को जलाकर भस्म बनाई जाती है । जलते हुए एक कनडे में जड़ी-बूटी और गूगल-कपूर की पर्याप्त मात्रा को डाली जाती है ।
जिससे यह भस्म में ना सिर्फ सेहत के लिए उपयुक्त होती है, बल्कि स्वाद में भी लाजवाब होती है । इसी लौकिक भस्म को महाकाल भगवान को चढ़ाया जाता है ।
भस्म तीन प्रकार की होती है: श्रौत, स्मार्त और लौकिक । जब यह श्रुति की विधि से यज्ञ किया जाता है तो यह भस्म श्रौत है, जब स्मृति की विधि से यह यज्ञ को किया जाता है तब यह स्मार्त भस्म होता है, और कंडे को जलाकर जो भस्म तैयार किया जाता है वह लौकिक भस्म कहलाता है ।
वर्षों पहले उज्जैन में शिव भक्त राजा चंद्रसेन निवास करते थे । वह शास्त्रों में पारंगत थे । उनकी धार्मिक प्रवृत्ति और व्यवहार के कारण भगवान शंकर जी के गण मणिभद्र जी उनके परम बंधू बन गए थे ।
राजा चंद्रसेन से प्रसन्न होकर मणिभद्र जी ने चिंतामणि नामक महामणि राजा जी को उपहार स्वरूप भेंट की थी । वह मणि अत्यंत चमत्कारिक और अनोखा था । उस मणि के दर्शन करने से ही लोगों के कई संकट हर जाते थे । राजा चंद्रशेखर ने उस मणि को अपने गले में पहन लिया था ।
कुछ समय बाद चिंतामणि के ख्याति दूर-दूर तक फैल गई । तब कई राजा उस माणि को पाने का सपना देखने लगे उन सभी राजाओं ने अपनी अपनी सेना को तैयार करके एक साथ उज्जैन पर आक्रमण कर दी । उन राजाओं ने आक्रमण करके उज्जैन के चारों ओर द्वार खोल दिए । राजा चंद्रसेन अत्यंत भयभीत हो गए ।
वे भगवान महाकाल जी के शरण में पहुंचे और उनकी भक्ति में लीन हो गए । इस घटनाक्रम के दौरान महाकाल के दर्शन के लिए एक विधवा महिला अपने 5 वर्ष के पुत्र के साथ आई । उस बालक ने राजा चंद्रसेन को शिवजी की पूजा और आराधना करते हुए देखा । फिर बालक और उसकी माता शिवजी की पूजा अर्चना आदि कर के वहां से चले गए ।
उस बालक ने घर जाकर भगवान शिव की उसी विधि विधान से पूजा करनी शुरू कर दी और एक पत्थर लाकर एकांत में जाकर स्थापित कर दिया । उस बालक ने उस पत्थर को ही शिवलिंग का रूप मान लिया और पूरे विधि विधान से पूजा करना शुरू कर दिया । वह बालक पूरी तरह शिव भक्ति में लीन हो गया ।
उसकी माता ने कई बार उसे भोजन करने के लिए आवाज दिया, पर उसे पता ना चला तब उसकी माता स्वयं उसे बुलाने वहां गई उसकी माता ने देखा कि वह बालक अपने नेत्र को बंद किए हुए उस शिवलिंग रूपी पत्थर के सामने बैठा हुआ है ।
माता ने बालक को उठाने की बहुत चेष्टा की पर बालक इधर से उधर ना हिला तब माता ने क्रोधित होकर उस पत्थर को उठाकर फेंक दिया और पूजन की सारी सामग्री को भी फेंक दिया । इस प्रकार से महादेव जी का अनादर देखकर बालक अत्यंत ही दुखी होकर रोने लगा और धरती पर गिर कर बेहोश हो गया ।
कुछ देर के पश्चात जब बालक को होश आया तो उसने देखा कि वहां एक भव्य और दिव्य मंदिर प्रकट हो गया है । उस दिव्य मंदिर के अंदर बहुत ही सुंदर शिवलिंग स्थापित था । उस बालक की माता भी शिवलिंग को देखकर आश्चर्यचकित हो पड़ी उस बालक की माता ने जो फूल माला और अन्य पूजन की सामग्री को फेंक दिया था वह भी शिवलिंग पर चढ़ा हुआ है ।
मंदिर में कैमरा, मोबाइल ले जाना अलाउड नहीं है लेकिन बैक, थैला ,लेडीज पर्स भी नहीं ।
भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए आप जल, पुष्प ,बेलपत्र, प्रसाद आदि लेकर लाइन में लग सकते हैं ।
अगर आप लाइन में ना लग कर वी.आई.पी दर्शन करना चाहते हैं, तो उसके लिए आपको वीआईपी लाइन में लगकर ₹151 की रसीद कटवानी पड़ती है जो कि केवल 2 से 3 मिनट की दर्शन के लिए होती है ।
भस्म आरती में उपस्थित होने के लिए टोकन का 1 दिन पहले से बुकिंग करना जरूरी होता है । टोकन दो प्रकार से प्राप्त किया जाता है पहला ऑनलाइन और दूसरा ऑफलाइन ।ऑनलाइन टोकन बुकिंग चार्ज ₹100 होती है ।
निष्कर्ष ( Conclusion )-
आज हमने आपको भस्म आरती के साथ महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन से जुड़ी सारी महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त करवा दी हैं । हमारे आर्टिकल को अंत तक पढ़ने के बाद आशा करते हैं आपको सारी जानकारियां प्राप्त हो गई होंगी एवं इससे जुड़ी सभी जानकारियां भी हमने आपको उपरोक्त अपने आर्टिकल में बता दिया है । आशा करते हैं कि हमारे आर्टिकल आपके लिए बेहद ही सहायक होने एवं सुविधाजनक रही होगी ।
गरीब परिस्थितियों में जन्मा एक लड़का अपने संघर्षों से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ा। मेहनत और…
बेलागांव, एक शांत और हरियाली से भरा गाँव, जहाँ वक्त जैसे थमकर चलता था। उसी…
उत्तराखंड के चार धामों का यात्रा भारत के एक यात्रा का अनुभव है। धार्मिक महत्व…
आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में लोगो के पास अपना ध्यान रखने तक के…
कई बार जब खर्चा करने का समय आता है तो आपके पास उतना पैसा (Specific…
This website uses cookies.