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समय पर विजय

एक दिन दोपहर का समय था महाराज युवराज अपने दरबारियों के साथ सभा में व्यस्त थे तभी द्वारपाल सभा में आया और बोला, महाराज, “बाहर खड़ा एक व्यक्ति आपके दर्शन करने की आज्ञा चाहता है |

महाराज ने कहा, “उन्हें अंदर ले आओ और यह कहकर अपने कार्य में व्यस्त हो गए | थोड़ी देर बाद वह व्यक्ति दरबार में आ आया और हाथ जोड़कर महाराज के सामने खड़ा हो गया | परन्तु महाराज ने उसकी तरफ नहीं देखा और प्रतीक्षा करने लगा की महाराज अपनी बात रख सके | बहुत देर हो गई पंरतु महाराज अपने काम में इतने व्यस्त थे की उन्हें समय ही नहीं मिला उस व्यक्ति से बात करने का |

उस व्यक्ति ने बहुत प्रयास किया अपनी बात महाराज को बताने की परन्तु हर बार वो असफल रहा | परन्तु वह वहा से गया नहीं | वह खड़ा रहा | महाराज को जब अपने कार्य से फुर्सत मिली तो उन्होंने उस व्यक्ति की और देखा | उसे देखते ही उसे याद आ गया की उसने ही द्र्वर्पल को कहा था उस व्यक्ति को बुलाने के लिए कहा था |

महाराज इतने व्यस्त थे अपने काम में की उन्होंने उस व्यक्ति को कल आने को कहे दिया और कहा की जो भी आपकी इच्छा होगी, पूरी की जाएगी |

यह सुनकर वो वहा से चला गया | परन्तु उनमे से एक दरबारी को महाराज का यह व्यवहार अच्छा नहीं लगा और सोचने लगा की कल का क्या भरोसा | कल कोई रहे या नहीं रहे | महाराज को उसकी बात सुन लेनी चाहिए थी | उन्होंने ठीक नहीं किया |

यह सब सोचते – सोचते रवि राजसभा से बाहर आ गया ओ द्वार पर रखी हुई दुंदुभी उठाकर बजाने लगे | उनके आस पास खड़े दरबारी चकित हो गए, परन्तु किसी की हिम्मत नहीं हुई उनसे पूछने की क्या हुआ | रवि ने सभी को दुंदुभी बजाने को कहा और कहा, जोर जोर से बोले, “महाराज की जय हो, महाराज की जय हो, महाराज ने समय पर विजय प्राप्त कर ली | सभी दरबारी यह बोलते बोलते राज्यसभा में आ गए |

यह सुनकर महाराज आचर्यचकित रहे गए और बोले यह क्या हो रहा है | यह कैसे आडम्बर है ? यह सुनकर रवि बोले, महाराज की जय हो, महाराज की जय हो, आप ने समय पर विजय प्राप्त कर ली है | यह सुनकर राजा को और गुस्सा आ गया |

महाराज गुस्से से बोले, “क्या मतलब है तुम्हारा, समय पर विजय | यह सुनकर रवि बोले, “महाराज आप ने ही तो उस मनुष्य को कल बुलाया है | इस का मतलब तो यही हुआ की आप अपना कल जानते है तो इसका मतलब यही है की आप ने समय पर विजय प्राप्त कर ली | इसलिए हम लोग आप की जय जय कार कर रहे है |

यह सुनकर राजा को अपनी गलती का अहसास हो गया और उसने माफी मांगी | और तभी उनसे अपने एक सिपाही को भेज कर उस आदमी को बुलवाया और उसकी परेशानी का निवारण किया |

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