एक गाँव में एक परिवार रहता था उस घर में दो बच्चे थे एक लडकी और एक लड़का | लडकी का नाम हेमा और लडके का नाम रवि था |
एक दिन की बात है निधि अपने दोनों बच्चो के साथ अपने घर के आंगन में खड़ी थी उसने पेड़ पर एक मेना को देखा और अपनी बेटी को कहा, बेटा जाओ और रसोई में से एक रोटी ले आओ |
हेमा रोटी ले आई और अपनी माँ को दे दी | निधि ने उस रोटी के टुकड़े किये और पेड़ के पास बिखेर दिए | मेना ने रोटी के टुकड़े देखे और अपने साथियों को कांव – कांव आवाज लगाई अपनी साथियों को | आवाज सुनकर आस पास के सभी कुए उसके पास आ गए और सभी मिल कर रोटी के टुकड़े खाने लगे |
हेमा ने माँ से पूछा, “माँ, इसने अपने साथियों को क्यों बुलाया, ये सारी रोटी खुद भी खा सकता था”
निधि, “हेमा तुम ने बहुत अच्छा प्रशन पूछा है | बेटा वह रोटी अकेले नहीं खाना चाहता था और वह चाहता था की उसके बाकि साथी भी भेखे ने रहे और इसलिए उसने कांव – कांव करके अपने बाकि साथियों को भी बुला लिया ताकि उनका पेट भी भर सके |
यह सुनकर बेटा रवि बोला, “माँ, तो क्या हमे भी अकेले नहीं खाना चाहिए ?”
निधि, “हा बेटा, याद रखो, हमे हमेशा मिल जुलकर ही खाना खाना चाहिए, कभी भी अकेले नहीं क्योकि सभी के साथ जो खाने में मजा आता है वो अकेले नहीं | “
यह सुनकर निधि के दोनों बच्चे बोला, “तो ठीक है माँ, आज से हम दोनों कभी भी अकेले नहीं खाए गे खाना | थोड़ी देर में उनके पिता जी भी आ गए और उनके हाथो में एक मिठाई का डिब्ब देखा कर रवि ने उनसे ले लिया और सभी के साथ मिल कर मिठाई खाई |
सीख: हमेशा खाना मिल जुल कर ही खाना चाहिए और देखना चाहिए की सभी को मिले |
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