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क्या जानते है आप जोहर और सती प्रथा के बीच का अंतर?

पद्मावत फिल्म के बाद सब जानते है की जोहर क्या होता है क्यों किया गया था जोहर | राजपूत घराने की आन-बान-शान मानी जाने वाली रानियां और राज्य की सभी महिलाओं ने खुद को आग में झोंक दिया था | उन पर किसी का कोई दवाब नहीं था

कई लोगो ने जोहर और सती प्रथा को एक दर्जा दे दिया है लेकिन क्या यह सही है ? दोनों एक दुसरे से बिलकुल अलग है | क्या आप जानते है सती क्या है उसके पीछे का तथ्य क्या है | नहीं जानते तो हम आप को बताते है यहाँ

हिन्दू धर्म में बहुत सारी जातिया है और हर जाती की अपनी – अपनी रीती रिवाज है जो की उनको समाज से जोड़ने के लिए प्रेरित करते थे लेकिन क्या आप जानते है की सती जैसी प्रथा किसी भी धर्म और किसी भी जाती का हिस्सा नहीं रही |

हिंदू धर्म के चारों वेद – ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद में भी स्त्री को सती करने की प्रथा का कहीं जिक्र तक नहीं है। तो फिर सती सोचने वाली बात यह है की सती प्रथा का जन्म कैसे हुआ?

लेकिन कुछ धर्म के ठेकेदारों ने इस प्रथा को मोड़ कर समाज के सामने प्रस्तुत किया और एक नया रिवाज बना दिया की पति के मृत्यु के साथ ही पत्नी को भी जला दिया जाए | इस प्रथा को कुछ ओरते ख़ुशी ख़ुशी करती थी

लेकिन कुछ ओरते को सिर्फ प्रथा के नाम पर उसे जिन्दा जला देते थे | किसी को उनकी चीखें, दर्द कुछ नहीं सुनाई देता था

संस्कृत में सती का अर्थ है वो स्त्री जो सिर्फ और सिर्फ अपने पति की है | इतिहास के पन्ने पलटे तो 510 ईसवीं के दौरान सती प्रथा का पहला अभिलेखीय साक्ष्य देखा गया।

उस समय महाराज गोपराज युद्ध के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए और उनकी पत्नी ने पति वियोग में सती होकर अपने प्राण त्याग दिए और इसी के बाद धर्म के ठेकेदारों ने इस प्रथा को मोड़ कर समाज के सामने प्रस्तुत किया और एक नया रिवाज बना दिया की पति के मृत्यु के साथ ही पत्नी को भी जला दिया जाए | इस प्रथा को कुछ ओरते ख़ुशी ख़ुशी करती थी लेकिन कुछ ओरते को सिर्फ प्रथा के नाम पर उसे जिन्दा जला देते थे |

किसी को उनकी चीखें, दर्द कुछ नहीं सुनाई देता था | धीरे – धीरे यह प्रथा नने भारत में अपने पैर पसार लिए |

सदियों से यह प्रथा चलती रही | लेकिन अंग्रेजो ने इस प्रथा का विरोध किया | हालांकि इस प्रथा को धर्म से जोड़कर पेश करने वालों के आगे उनकी एक ना चली लेकिन फिर भी अंग्रेजों ने इसका प्रभाव कम करने की पूरी कोशिश की।

19वीं शताब्दी के शुरुवात में इस प्रथा को रोकने के हवा चल पड़ी और उसी दोरान ओरतो के मसीहा बनकर आये राजा राम मोहन राय|

उन्होंने इस प्रथा को रोकने के लिए कई सारी लड़ाई लड़ी और देश के लिए नासूर बन गई इस प्रथा को जड़ से समाप्त किया। राजा राम मोहन राय ने विधवा पुर्नविवाह पर भी जोर दिया। राजा राममोहन राय ने घर-घर घूमकर लोगों को जगाया, इस कुरीति के खिलाफ आवाज बुलंद करने का हौसला दिया।

पति के साथ जिन्दा जला देना एक क्रुरु प्रथा थी लेकिन फिर जोहर क्या है और कहा से आया जोहर ?

जोहर एक फारसी शब्द का अरबी अनुवाद है | अरबी में जौहर का अर्थ रत्न, ज्वैलरी और महत्व से है। भारत ने जौहर की शुरुआत राजपूत घराने की स्त्रियों ने की थी।

जैसा की औ सब लोग जानते है की हमारे राजाओ ने बहुत सारी लड़ाईया लड़ी| आक्रमणकारी राजा को हराने या मारने के बाद उनके राज्य पर कब्जा कर लेते थे और राज्य में मौजूद सभी स्त्रियों को अपना गुलाम बनाकर उनका शोषण करते थे।

इस गुलामी से बचने के लिए राजपूत धराने की स्त्रियों ने आग में कूदकर अपने प्राण न्यौछावर करने का प्रण लिया |

और तभी से अपने पतियों के स्वाभिमान और अपने सम्मान की रक्षा के लिए रानियों ने जौहर करना शुरू किया।

 

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