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आंसू की बूंद

अनाज के एक गोदाम ने एक अकेली चींटी इधर-उधर घूम रही थी | बहुत बहुत जोर से प्यास लग रही थी और प्यास के मारे उसका बुरा हाल हो चूका था| उसे लगने लगा की अगर उसे पानी नहीं मिला तो वह मर जाएगी |

और तभी उसके उपर एक पानी की बूंद टपकी और उसकी जान बच गई |

चींटी ने उपर देखा तो उसको पता चला की यह पानी की बूंद असल में एक आंसू की बूंद है जिसकी वजह से उस चींटी की जान बची |

चींटी ने देखा की एक लडकी रो रही है और उसकी आँखों के सामने अनाज का एक ढेर लगा हुआ था असल में वह अनाज का ढेर नहीं बल्कि उसमे अनाज और चावल दोनों मिले हुए थे और वो लडकी उन दोनों को अलग – अलग कर रही है और साथ-साथ रो रही थी |

रोते – रोते वह बोल रही थी की अगर में कल तक दोनों को अलग नहीं किये तो मेरा मालिक मुझे जान से मार देगा | हे भगवान्, मेरी मदद करो क्योकि अगर में सारी रात भी लगी रहू  तब भी में अकेले इसे नहीं कर सकती |”

नीचे खड़ी चींटी उसकी सारी बाते सुन रही थी | उसने तुरंत अपने सभी साथियों को बुला लिया और देखते ही देखते वहा पर हजारो की तदात में चींटिया आ गई |

आधी चींटिया गेहू में लग गई और आधी चींटिया चावल को अलग करने में लग गई | अब सारी चींटिया और वो लडकी मिल कर बहुत मेहनत से काम किया |

अगले दिन सुबह जब गोदाम का मालिक आया तो लडकी का काम पूरा हो चूका था और उसने उस लडकी को माफ कर दिया था |

इस तरह एक आंसू की बूंद ने चींटी और उस लडकी दोनों की जान बचाई |

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