GST का Full Form है Goods And Services Tax जो भारत में किसी भी सामान या सेवा की खरीद पर लगाया जाता है । इसका सुझाव विजय केलकर समिति ने 2002 में दिया था और इसे 1 जुलाई 2017 से पूरे देश में लगूम किया गया था । इसको हिन्दी में इसे माल एवं सेवा कर भी कहते हैं। पहले हमारे देश में अनेक प्रकार के टैक्स थे
जैसे Excise Duty, VAT, Entry Tax, Service Tax इत्यादि इन सबको हटाकर अब सिर्फ एक टैक्स GST लाया गया है। पहले व्यापारियों को उत्पादन से लेकर बिक्री तक कई अलग अलग टैक्स देने पड़ते थे जैसे उत्पाद पर सबसे पहले Excise Duty देनी पड़ती थी फिर अगर उत्पाद दूसरे राज्य में बेचना हो तो Entry Tax देना पड़ता था, माल बेचते समय VAT या Sales Tax चुकाना पड़ता था और वही सामान यदि किसी होटल में उपलब्ध कराया जा रहा हो तो Service Tax भी देना पड़ता था।
इस प्रकार हर स्थान पर व्यापारियों को कर देना पड़ता था इसी असुविधा से व्यापारियों को बचाने के लिए GST लागू किया गया। साथ ही उत्पादन व सेवा संबंधी टैक्स पर केन्द्र सरकार का नियंत्रण था पर बिक्री से संबन्धित टैक्स का अधिकार राज्य सरकारों के पास था। जिसके कारण सबने अपने अपने हिसाब से टैक्स बनाने प्रारम्भ कर दिये थे। कभी कभी तो टैक्स के ऊपर भी टैक्स लग जाया करता था। छोटे व्यापारियों के लिए अपने व्यापार का विस्तार करना कठिन था। इसीलिए संविधान संशोधन के साथ ही GST को लागू किया गया।
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GST की विशेषताएं या लाभ
- GST की वसूली तब की जाती है जब उत्पाद या सेवा को बेचा जा रहा हो । वस्तु या सेवा की अंतिम कीमत में उसका GST भी शामिल होता है । अतः इस टैक्स की वसूली की जिम्मेदारी Seller की होती है जो Consumer इसे वसूलता है । जितनी बार वस्तु की खरीद या सेवा की बिक्री होती है उतनी बार GST देना पड़ता है ।
- अंतिम उपभोक्ता तक पहुंचने से पूर्व वस्तु कई हाथों से गुजरती है और चूंकि हर खरीद व बिक्री पर GST चुकाना पड़ता है तो उस वस्तु का दाम बहुत बढ़ जाना चाहिए पर Input Credit System के कारण ऐसा नहीं होता । अगर आप अंतिम उपभोक्ता नहीं हैं तो GST जमा करने के बदले आपको Credits मिलते हैं । हर महीने GST Return भरने के दौरान Tax Credit System के माध्यम से अपना GST Adjust करवा सकते हैं।
- पहले जो टैक्स के ऊपर टैक्स लगता था क्योंकि कुछ वस्तुएं दो या उससे भी अधिक की Category में आती थीं पर अब ऐसा नहीं होता क्योंकि Tax Credit System द्वारा वह GST Adjust हो जाता है।
- यह प्रक्रिया पूरी तरह Online होती है । Supply लेने व देने वाले अपनी अपनी रसीद की कॉपी की मदद से Tax Credit प्राप्त करते हैं। सौदों का मिलान न हुआ तो गड़बड़ी पकड़ी जाएगी । कोई व्यापारी अपना नुकसान नहीं चाहेगा।
- जिन व्यापारियों का सालाना turn Over 10 करोड़ रुपये या अधिक है उनके लिए E-Invoicing अनिवार्य कर दिया है जिसमें वे अपने बिल व रसीदें GST Portal के माध्यम से Electronic रूप से जारी करेंगे। टैक्स चोरी रोकने व पारदर्शिता बढ़ाने के लिए यह व्यवस्था की है ।
- पहले राज्य सरकारें अपनी मर्जी से टैक्स निर्धारित करती थीं अब ऐसा नहीं होगा। GST Council दे द्वारा ही GST निर्धारण किया जाता है और Central Finance Minister इस परिषद के अध्यक्ष होते हैं। सभी राज्यों के वित्त मंत्री इस परिषद के सदस्य होते हैं। किसी भी फैसले को मंजूरी के लिए Council के तीन चौथाई Votes आवश्यक हैं।
- आम जीवन के लिए आवश्यक दैनिक चीजों पर टैक्स कम रखा गया है जिससे आम लोगों को बहुत राहत मिली है । जैसे शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधाओं को टैक्स के दायरे से बाहर रखा गया है तथा विलासी व जीवने के लिए कम महत्वपूर्ण वस्तुओं पर कर अधिक लगाया गया है।
- बहुत से कारोबारियों के GST दायरे में आ जाने के कारण सरकार की आय में वृद्धि हुई है । जिससे सरकार ने शिक्षा, स्वस्थ्य , परिवहन जैसी सुविधाएं बढ़ाईं हैं।
- कारोबारियों को इससे यह लाभ है कि अब उन्हें विभिन्न करों से नहीं जूझना पड़ता न दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं जिससे वे अपना कारोबार बढ़ाने पर ध्यान क्रेन्द्रित कर सकते हैं।
- पहले राज्य सरकारें छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए कुछ सुविधाएं प्रदान करती थी जिसका फायदा उठाने के लिए बड़े उद्योगपति भी अपने कारोबार को छोटे छोटे में बांटा करते थे पर अब इसकी आवश्यकता नहीं रही।
- इससे black market पर लगाम लगी है क्योंक हर स्टेज पर बिल दिखाना आवश्यक हो गया है।
- पहले विभिन्न राज्य भिन्न टैक्स लगाते थे जिसके कारण तस्कर सस्ते दाम पर सामान खरीद कर अन्य राज्यों में उसकी तस्करी करते थे पर अब इसपर भी रोक लग गयी है। क्योंकि पूरे देश में एक जैसे दाम पर वस्तुएं व सेवाएं उपलब्ध हैं।
- Online होने के कारण अधिकारियों द्वारा इसे आसानी से चेक किया जा सकता है और उनपर से कार्य का बोझ भी बहुत कम हो गया है।
GST के चार नाम
- Central Goods and Service Tax – एक ही राज्य के दो कारोबारी आपस में कोई लेन देन करते हैं तो केन्द्र सरकार को यह टैक्स देते हैं।
- State Goods and Service Tax- एक राज्य के दो कारोबारी लेन देन करते समय अपने राज्य की सरकार को यह टैक्स देते हैं।
- Union Territory Goods and Service Tax – यदि किसी केन्द्र शासित राज्य के दो लेन देन करते हैं तो केन्द्र शासित राज्य को यह कर देते हैं।
- Integrated Goods and Service Tax– जब दो अलग अलग व्यापारियों के बीच लेन देन होता है तो राज्य व केन्द्र सरकार को एकसाथ Integrated Goods and Service Tax चुकाना पड़ता है । यह टैक्स केन्द्र सरकार के पास जमा होता है बाद में केन्द्र सरकार राज्य सरकार का हिस्सा भेज देती है ।
सामान्य राज्यों के कारोबारियों का Turn Over अगर 40 लाख रुपये है तो GST Registration अनवार्य है वहीं विशेष राज्य जैसे जम्मू और कश्मीर, आसाम , मणिपुर, सिक्किम, मिजोरम, नागालैंड आदि में यदि कारोबारी का सालाना Turn Over 20 लाख रुपये है तो GST Registration अनवार्य है। GST के अन्तर्गत पांच तरह के कर निर्धारित किये गये हैं, 0, 5, 12, 18 एवं 28 प्रतिशत ।