रोटी मेहनत की कमाई की

भारत में एक बहुत छोटा सा गाँव था | उस गाँव के सभी लोग बहुत ईमानदार थे | वह सभी लोग अपना काम ईमानदारी से करते थे और सभी लोग एक साथ और मिलजुल कर रहते थे | सभी में बहुत प्रेम था | गाँव हर तरह से पूर्ण था परन्तु बाढ़ और सुखा ही उनकी परेशानी का कारण था जब भी भूखा या बाढ़ आती सभी गाँव के लोग मिलजुल कर एक दुसरे की मदद करते |

एक बार गाँव में बहुत भीषण सूखे के कारण गाँव के सभी कुओ, तलाब, खेत के साथ साथ पेड़ पोधे भी सुख गए | जैसे – जैसे महीने बीते गुए हालत और बुरी होती गई | पशु – पक्षी और इन्सान भी मरने लगे | यह देखकर गाँव के मुखिया ने अपने अनाज के भंडार खोल दिए और लोगो में मुफ्त बाटना सुरु कर दिया | गाँव के मुखिया ने सभी गाँव वालो के लिए अपने ट्यूब वेळ वाले कुए से पानी लेने से कह दिया | पूरा गाँव वाले ने मुखिया की भेंट स्वीकार पर, परन्तु सिर्फ एक किसान ने माना कर दिया | उस किसान को लगता था की किसी का एहसान लेने से तो चोरी भली है |

इसी के चलते, उसने एक दिन रात को मुखिया के घर जा चोरी करने की सोची और चोरी करने चला गया | चोरी करते समय उसका एक नाख़ून टूट कर अनाज के दोनों में गिर गया | उस वक्त यह मान्यता था की जिस भी किसी का नाख़ून किसी और के घर पर टुटा को वह घर बरबाद हो जाता था और यह बात किसान को पता था | वह बिलकुल ऐसा नहीं चाहता था की मुखिया का घर बरबाद हो जाए | इसलिए वह अपने नाख़ून को खोजने लगा और खोजते – खोजते पूरी रात लग गई और जब तक मिला तब तक सुबह हो गई थी | वहा सोया मुखिया के एक नोकर ने उसे देख लिया वहा पर और उसे पकड़कर लिया और अपने मालिक के सामने पेश किया | उसे अपना जुर्म मान लिया और उसे साडी कहानी बता दी | उसने कहा जुर्म करना बहुत बुरी बात है परन्तु दान पर जीना भी बड़ा अपराध है |

या जानकर मुखिया को अपनी की गलती का अहसास हुआ और उसने सभी किसानो को अपने खेतो पर काम पर लगा लिया | उस दिन मुखिया ने मन ही मन में प्राण किया की आगे से किसी को दान में कुछ न देकर उनसे काम कराके पैसे देगा |

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