मछली की चुतराई

एक जंगल में एक तलाब था उस तलाब में बहुत सारी मछलिया रहती थी | उनमे से एक मछली बहुत चंचल थी | वह कभी इधर और कभी उधर भागती रहती थी इसलिए उसके माता – पिता ने उसका नाम चंचल रख दिया था |

चंचल को नई – नई चीजो को देखने का बहुत शोक था और इसी कारण वह बहुत दूर दूर तक अकेली चली जाती थी | एक दिन की बात है वह तलाब के किनारे टहल रही थी | आकाश में एक चील उड़ रही थी | उसने चंचल को अकेले टहलते हुए देखा और उसे देखकर उसके मुंह में पानी आ गया | वह तेजी से आई और चंचल को अपने पंजो में दबोचा को उसको आकाश में ले गई | चचंल यह सब देख कर डर गई, परन्तु उसने अपने होश नहीं खोए | उसने चील से पूछा, “तुम ने मुझे क्यों पकड़ा है ?”

चील बोली, “मुझे बहुत भूख लग रही है इसलिए में तुझे पकड़ा है और अब में तुझे खा जाउंगी |”

चंचल उसी समय अपने बचने का उपाय सोचने लगी | वह चील से बोली, “मोसी, यह बात तुम मुझे प्यार से बता देती तो में अच्छे से तयार होकर आती | देखो अभी तो में बहुत गन्दी बनी हुई हु | मेरे सारे बदन पर तलाब की मिटटी लगी हुई है | तुम्हे खाने में मजा भी नहीं आएगा | हम एक काम कर सकते है की तुम मुझे पानी में छोड़ दो में स्नान करके फिर तुम्हारे पास आ जाउंगी और फिर तुम मुझे खा लेना |

चील सोच कर बोली, “ठीक है तुम स्नान करके मेरे पास आ जाना और यह कह कर उसने चंचल को वापिस तलाब में छोड़ दिया |

कुछ समय बीत चूका था और चील को गुस्सा आ रहा था | चील जोर – जोर से पुकारने लगी, “अरे मछली, जल्दी से बहार आ जाओ मुझे बहुत जोर से भूख लग रही है |”

यह सुनकर चंचल ने पानी के भार मुंह निकला और बोली, “मोसी, तुम क्या पागल हो क्या, भला में क्या अपने आप को तुम्हारे सामने ऐसे ही थोड़ी न रख दुगी | मेने तो तुम्हे बुधु बनाया और तुम बन गई | जाओ जाओ अब तुम भी अपने घर जाओ और आराम से सो जाओ | और यह कह कर चंचल वापिस पानी में चली गई | चील नोराश होकर उड़ गई |

सीख: समझदार बच्चे इसी प्रकार मुसीबत में अपने दिमाग का इस्तेमाल करके मुसीबतों का सामना कर सकते है |

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