खरगोश और कछुआ

बहुत पुरानी बात है | एक गाँव था | उस गाँव के समीप एक नदी बहती थी | नदी के दूसरी तरफ घना जंगल था | उस जंगल में खरगोश रहता था | एक दिन की बात है | नदी में कही से एक बड़ा खरगोश आकर रहने लगा | खरगोश और कछुआ दोनों में दोस्ती हो गई | एक दिन खरगोश से पूछा की तुम क्या क्या जानते हो? कछुए ने खरगोश से घमंड से कहा – में बहुत से विद्याये जनता हु | खरगोश ने मुंह लटकाकर कहा – “ में तो केवल एक ही विदया जानता हु |”

खरगोश और कछुआ दोनी हर रोज साथ-साथ खेलते थे | एक दिन किसी मछुआरे ने नदी में जाल डाला | उस जाल में कछुआ भी फंस गया | उस दिन वह खरगोश के पास नहीं पहुच सका | खरगोश को चिंता हुई | वह कछुए से मिलने नदी पर गया | खरगोश ने देखा कछुआ मछुआरे के जाल में फंसा हुआ चटपटा रहा है | यह देखकर खरगोश चुपके से छिपते-छिपाते कछुए के पास गया और उससे कहने लगा – “दोस्त, क्या हुआ तुम तो बहुत सारी विदया जानते हो, कोई उपाय का जाल से बाहर आ जाओ |”

कछुए ने बहुत कोशिश किम परन्तु वो जाल से बहार न निकल पाया | उसने खरगोश से मदद मागी –“ दोस्त अब तुम ही मेरी जान बचा सकते हो | दया करो, मुझे यहाँ से बाहर निकालो | खरगोश ने कछुए से कहा, जब मछुआरा यंहा आए, तो तुम मरने का नाटक करना | वह तुम्हे मरा हुआ जानकर जाल से निकलकर नदी के बाहर रख देगा | उसी समय तुम नदी में चले जाना | कछुए ने ऐसा ही किया | मछुआरे ने कछुए को मरा हुआ जानकर उसे जाल से निकलकर नदी के बाहर जमीन पर रख दिया | फिर रस्सी उठाने झाड़ी की और चला गया |

मछुआरे को झाड़ी की तरफ जाता देखा कछुआ जल्दी से उठा और नदी की तरफ चल रहा था | शायद उसके पैर में चोट लग गई थी | खरगोश ने कछुए से पूछा –“ दोस्त जल्दी करो मछुआरा रस्सी लेने पास को झाड़ी की तरफ ही गया है | खरगोश की बात सुन कछुए ने कहा – भाई मेरा पाव घायल है | मुझसे जल्दी नहीं चला जा रहा है | शायद अब में बच न सकूगा | तुम यहाँ से चले जाओ और अपनी जन बचाओ, कही मछुआरे की नजर तुम पर न पड़ जाए |

उसकी यह बात सुनकर वह बहुत निराश हुआ – “दोस्त, जब तुमसे दोस्ती की है, तो निभऊगा भी | तुम घबराओ मत में कुछ करता हु | यह सुनकर खरगोश झाड़ी से निकलकर लंगड़ाकर चलने लगा | मछुआरा उसे पकड़ने की लिए भागा | खरगोश ने मछुआरे को जंगल में इधर – उधर खूब भगाया | इस तरह्वः मछुआरे को कछुए से बहुत दूर ले गया | फिर खरगोश मछुआरे को चकमा देकर वापस नदी पर आ गया | अब तक कछुआ भी नदी में जा चूका था | खरगोश को नदी पर आया देख कछुए ने अपने दोस्त को धन्यवाद किया | इस तरह अपने दोस्त की समझदारी से कछुए को जान बच गई |

सीख: सच्ची दोस्ती की परख मुसीबत में ही होती है |