जंगले के एक पेड़ पर एक कबूतर का घोंसला था उस घोंसले में कबूतरी ने दो अंडे दिए और उनका नाम ची – ची और चु – चु रखा |
एक दिन की बात है कबूतरी अपने बच्चो के लिए दाना चुग कर लाई | यह देखकर दोनों बच्चो ने अपना मुह कोल लिया | माँ ने दोनों बच्चो को बराबर – बराबर दाने दिए | कुछ समय बीता और बच्चे बड़े हो गए |
एक दिन की बात है उस दिन पेड़ के निचे एक बिल्ली चक्कर काट रही थी यह देख कर कबूतरी ने अपने बच्चो को बोला, “बच्चो पेड़ से निचे मत उतरना क्योकि नीचे बिल्ली घूम रही है और वो हमारी दुश्मन होती है |
यह सुनकर ची-ची बोली, “माँ, बिल्ली क्या होती है ?”
माँ बोली, “वो देखो नीचे, वह बिल्ली होती है और वो सभी को मार कर खा जाती है | उससे तुम लोग दूर ही रहना | बच्चो में दाना चुगने जा रही हु और तुम सावधान रहना |”
यह बोलकर कबूतरी वहा से उड़ गई | थोड़ी देर में बिल्ली नीचे आई और बोली, “बच्चो, में तुम्हारी मोसी हु, आओ नीचे आओ, मुझसे मिलो | देखो में तुमसे मिलने आई हु |
यह सुनकर एक बच्चा बोला, “आरी बिल्ली, तुम हमारी मोसी नहीं हो | उम जानते है तुम हमे खाने आई हो | हम तुम्हारे पास नहीं आएगे |
बिल्ली बोलती रही, पर उसके पास कोई नहीं आया और थक कर वहा से वह चली गई | थोड़ी देर के बाद कबूतरी आई और अपने बच्चो को दाना दिया | दाना खा कर बच्चे बोले, “माँ ! आप के जाने के बाद बिल्ली यहाँ आई थी और वो हमे बुला रही थी परन्तु आप ने हमे मना किया था इसलिए हम नहीं गए |
यह सुनकर कबूतरी बोली, “शाबाश बच्चो | तुमने बहुत अच्छा किया |”
सीख: जो बच्चे अपने माता – पिता की आज्ञा का पालन करते है, वे सदा सुखी रहते है |