बारीश के रूप अनेक

आज बादल बहुत काले थे और हवा भी बहुत ठंडी – ठंडी चल रही थी | ऐसे मोसम में राघव, परमीत, रवी और अमन मैदान में खेल रहे थे | रवी के दादा जी सभी के बच्चो को खेलते हुए देख रहे थे | वो उन बच्चो को देख कर बहुत खुश हो रहे थे | बच्चो ने अभी खेलना शुरू ही किया था की अचानक बिजली चमकने लगी | और थोरी ही देर में बारीश शुरू हो गई | दादा जी ने सभी बच्चो को हाथ हिलाते हुए बुला लिया | दादा जी को हाथ हिलाते हुए देख कर अमन के कहा दादा जी बुला रहे है और इतनी ही देर में बारीश के एक बूंद राघव पर गिरी |

दादा जी जोर से बोले, अरे बच्चो जल्दी चलो | कोले पड़ रहे है | अमन, राघव, परमीत और रवी सर पर हाथ रखे रवी के घर की और दोड़ पड़े |

आज दादा जी भी बहुत खुश थे | दादा जी बच्चो से बोले, आज बहुत दिनों बाद ओले पड़े है | अच्छा हुआ तुम सब चले आए, नहीं तो सर पर टपाटप होती | बच्चे दादा जी की बात सुनते ही हंस दिए | देखते ही देखते बरामदे के आगे का खुला स्थान ओलो से भर गया |

इन बच्चो में से एक बच्चे ने दादा जी से पूछा, “ दादा जी ये ओले क्या होते है ?”

दादा जी मुस्कराके बोले, “बच्चो, वायुमंडल में विदयमान जल की बुँदे झटके से उछल कर ऊपर चली जाती है | ऊपर की हवा बहुत ठंडी होती है | ये बुँदे वही जमकर ओले का रूप धारण क्र लेती है | इसी प्रकार हवा के झोंके इन्हें और ऊपर उछाल देते है | इन ओलो के ऊपर बर्फ की और परते जम जाती है | कुछ भारी होने पर ये ओले नीचे की और गिरने लगते है | वाह: हमे तो पता ही नहीं था | सभी बच्चे बहुत खुश हुए |

फिर दादा जी ने सभी बच्चो से पूछा, “ क्या तुमने पाला पड़ता देखा है ?” …”पाला” – सभी बच्चे एक साथ बोले | दादा जी ने कहा – सर्दियों में तुमने देखा होगा | की खेतो में सुबह: सुबह: बर्फ की एक चादर सी दिखाई देती है | यही पाला है | जब ठंड अधिक पड़ने लगती है | , “वाह” | दादा जी यह भी जल का एक रूप ही है | फिर दादा जी बोले, बच्चो जल ही जीवन है और इसके कई रूप है | इतनी ही देर में रवी दादा जी के लिए गर्म – गर्म चाय ले आया और अपने दोस्तों के लिए पकोड़े |

चारो बच्चे बहुत खुश थे क्योकि दादा जी उनको बहुत अच्छी – अच्छी बाते बता रहे थे | परमीत ने कहा, “ दादा जी पहाडो पर जो बर्फ गिरती है उसके बारे में भी कुछ बताइए | “दादा जी यह सुनकर मुस्कराए और कहा – “परमीत, पहाड ऊंचाई पर होते है न. सो वहा ठंड भी अधिक होती है और शीत ऋतू में और अधिक ठंड के कारण यहाँ के वायुमंडल में भाप बफ के रूप में बदल जाती है | यही बर्फ जब पहाडो पर बरसती है तो इसे हिमपात कहते है |” अब ओले पड़ना बंद हो गए थे, सिर्फ हल्की फुहारे सी पड़ रही थी | बच्चे ऐसे मोसम में स्वाद से पकोड़े खा रहे थे और बूंदों की ताल के संग उनका मन-मयूर नाच रहा था |

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