एक जंगल में एक बहुत बड़ा पेड़ था उसी पेड़ बहुत सारी चिड़िया घोंसला बना कर रहती थी | एक दिन की बात है जंगल में बहुत तेज बारिश हो रही थी सभी चिड़िया अपने अपने घोंसले में आ गई थी |
थोड़ी देर में वहा एक बंदर भी आ गया | वह पूरा का पूरा भीग चूका था और ठंड में थर – थर कांप रहा था | वह अपने आप को बारिश से बचा रहा था पेड़ की पतियों के पीछे | परन्तु बारिश बहुत तेज हो रही थी |
वहा बेठी चिड़िया यह सब देख रही थी और उन्हें उस पर तरस आ रहा था | एक चिड़िया ने उससे कहा – “अरे बन्दर भाई, तुम अपने घर क्यों नहीं चले जाते | बारिश में क्यों भीग रहे हो |”
यह सुनकर बन्दर ने कहा, “मेरे पास कोई घर नहीं है|”
चिड़िया ने कहा, “तुमने अपने रहने के लिए घर क्यों नहीं बनाया ? यदि तुम ने ऐसा किया होता तो आज तुम भी अपने घर में बेठ कर आराम से बारिश का मजा ले सकते थे | यह खड़े भीग न रहे होते |”
यह सुनकर बन्दर को गुस्सा आ गया और उसने चिडियों के सारे घोंसले थोड डाले | यह देखकर चिड़िया दुखी हो गई और सोचने लगी की मूर्खको उपदेश देना बेकार है |