आज के वैज्ञानिक युग में मानव मूल्य गिरते जा रहे है

मेरे दोस्तों ने आज के विषय पैर काफी कुछ कहा किन्तु किसी ने यह स्पषट नहीं किया की विज्ञान क्या है और मानव मूल्य क्या है! विज्ञान का अर्थ है विशैष ज्ञान जिसके इस्तमाल सा इन्सान को अधिक से अधिक किंतु सचे सुख की प्राप्ति हो और मानव मानव बन सके ! मानव मूल्य का अर्थ है ऐसे गुण, ऐसी भावनाए जिनसे मानव साधारण दिनचर्या से ऊपर उठ कर एक दुसरे के प्रति प्रेम, विश्वास तथा सहानुभूति पैदा करे! जिस समय विज्ञान का जन्म हुआ उस समय तथा उसके बाद भी कई वर्षो तक मानव विज्ञान के परयोग से सुख प्राप्त करता रहा और अपना जीवन अनद से वतित करता रहा! किंतु जब मानव ने विज्ञान को जीवन का सब कुछ, जीवन का सर्वस्य मान लिया तो उसका आनंद और सुख भय, असंतोष तथा दुःख में बदल गया! आज इस २०वि शताब्दी में तो हालत और भी ख़राब है तथा दिन ब दिन ख़राब होती जा रही है ! मानव मूल्य गिरते जा रहे है!

विज्ञान दवारा प्रकति के रहस्यों को जानने के लिए कुछ देशो के कुछ लोगो के हाथ में असीम शक्ति आ जाने के कारण आज संसार में प्रतिस्प्रथा, कश्मकश और धन वैभव पाने की भावना ने इंसान को मास की हर्दय शुन्य मशीन बना दिया है |

यह ठीक है कि आधुनिक वैज्ञानिक यंत्रो तथा दुसरे साधनों से पैदा होने वाली धन दोलत ने मानवता को भोतिक समृधि दी है | पर एक बात यह भी निशित है कि भोतिक समृधि से संसार को चकाचोंध में डाला जा सकता है किंतु श्रदा से झुकाया नहीं जा सकता | शायद सही कारण है कि आज अमेरिका तथा उसके पद चिन्हों पर चलने वाले देश अपनी भोतिक समृधि के बलबूते पर संसार के महान देश तो माने जाते है  किंतु नेतिक तथा आत्मिक कि दृष्टि से कई कदम पिछड़े हुए है |

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