कैसे हुआ बंटवारा

एक गाँव में एक किसान रहता था उसके चार बेटे थे किसान बहुत बीमार रहता था वह हमेशा सोचता रहता की उसके चारो बेटे मेरे जाने के बाद बटवारा कैसे करेगे, कही वो एक दुसरे से लड़ने ने लग जाए | क्यों न में ही अपने जीते जी बंटवारा कर दू ताकि आगे जाकर कोई परेशानी न हो किसी को भी |

उसने अपने कमरे में चार घड़े दबा दिए, फिर उसने अपने चारो बेटो को बुलाया और कहा, “बेटो, मुझे बहुत अच्छा लगता है जब तुम सभी लोग मिलजुल कर रहते हो | मेरे जाने के बाद भी तुम लोग ऐसे ही रहना | मेरे मर जाने के बाद मेरी चारपाई के निचे मैंने सभी के लिए कुछ न कुछ रखा है | “

कुछ दिन बीतने के बाद उस किसान की मृत्यु हो गई | सभी बेटो ने उसका अंतिम संस्कार अच्छे से किया और साथ साथ रहने लगे | कुछ बीतने के बाद सभी में तू-तू में-में होने लगी |

तब बड़े भाई ने कहा, अब हमे बंटवारा कर लेना चाहिए | और जैसा उनके पिता ने कहा था उन चारो ने वैसा ही किया | पिता की चारपाई उठाई और खोदने लगे | चारो बेटो को एक – एक घडा मिला | पहले और दुसरे घड़े में मिटी मिली, तीसरे में एक रस्सी, और चोथे में कोयले | यह देखकर सभी हेरान हो गए |

बड़े भाई ने यह देख कर कहा, “इसमें कुछ न कुछ तो रहस्य है | पर क्या?”

किसी भी भाई को इसका रहस्य समझ नहीं आया तो बड़े भाई ने कहा, चलो किसी और से इसके बारे में बुच्छ्ते है | वचारो भाई गाँव के सबसे बड़े आदमी की पास गए और चारो ने उसके सारा बखान किया और घड़े भी दिखाए | उस आदमी ने चारो घड़े देखे और देख कर हंस पड़ा, इतने बुद्धिमान आदमी के पुत्र होकर भी कुछ समझे नहीं |

आदमी बोला, “पहले और दुसरे घड़े में मिटी है मिटटी मतलब खेत, तो उपर के दोनों बेटो ने खेत आपस में बाँट लिए | दूसरा घडा जिसमे रस्सी है वो दुसरे बेटे का है | इसका मतलब गोशाला से है पशु – धन तुम्हारा है | तीसरा घडा देखा तो उसने कोयला है इसका मतलब सोना – चांदी है यह सबसे छोटे बेटे का है |

सभी भाइयो ने सब कुछ आपस में बाँट लिए और आराम से रहने लगे |

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