श्याम दास का एक ही पुत्र था | उसका नाम रवि था | श्याम दास अपने बेटे को बहुत करता था | वह उसे हर अच्छी से अच्छी जीजे ला कर देते | हर वो जीज ला कर देता जो उसे चाहिए होती | उसकी हर मांग पूरी करता था |
सिर्फ वो ही नहीं बल्कि रवि की माँ भी उसे बहुत प्यार करती थी | वह उसे माखन, मलाई खिलाकर खुश करती थी | परन्तु रवि को इस सब की कदर नहीं थी क्योकि वो बुरी संगत में पड़ गया था | जुआ खेलना, दोस्तों के साथ बजारों में घूम न और बाहर का खाना पीना |
रवि के माता-पिता ने बहुत समझाया | परन्तु रवि पर कुछ असर न हुआ | तब उसके पिता ने उसे समझाने का एक उपाय सोचा |
एक दिन रामदास ने रवि को पांच रूपये का नोट दिया और कहा – “बेटा, बाजार से पांच रूपये के सेब मोल ले आओ |”
रवि बाजार जाकर पांच रूपये में सात सेब खरीद लाया | सेब ताजा और अच्छे थे | तब पिता ने पचास पैसे और देकर कहा – “जाओ बाजार से एक सडा – गला सेब खरीद लाओ |”